खुद का घर बनाने की इच्छा हर किसी की होती है। सरिया, ईंट, रेत जैसी मूलभूत जरूरतों को जब दुकानों पर खरीदने को जाते हैं तो दुकानदार की जुबां से निकले दाम ही चुकाना उनकी मजबूरी होती है। दरअसल ईंट, सरिया, बालू इनका कोई तय रेट नहीं होता। दिन बदलते ही दाम बदल जाता है। इसके अलावा यदि बिल लिया तो गुड्स एंड सर्विस टैक्स के साथ रेट भी बदल जाता है।
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उधर जीएसटी विभाग भी मजबूर है, दरअसल पिंट्र रेट नहीं होने से कोई कार्रवाई नहीं हो पाती, खरीदार और दुकानदार के आपस के लेनदेन में दखल देना भी संभव नहीं है। यही कारण है कि जीएसटी विभाग इसे ग्रे एरिया मानता है, जिसका मतलब कार्रवाई करने का कोई ठोस प्रमाण नहीं होता है।
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ऐसे में दुकानदार मनमाने दाम वसूलते हैं। ईंट और सरिया की खरीद डीलर बड़े पैमाने पर करते हैं। दुकानदार भी सप्लायर से बिना जीएसटी के माल खरीद लेता है और यहां भी जीएसटी की चोरी होती है।ग्राहक जब दुकान पर माल खरीदता है तो उसे दो विकल्प दिए जाते हैं। एक जीएसटी के साथ और दूसरा बिना जीएसटी। दुकानदार जिस रेट पर सप्लायर से माल खरीदता है उस पर जीएसटी जोड़ देता है, जो उसने सप्लायर को दिया ही नहीं।
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उदाहरण के तौर पर 10 रुपये का सामान सप्लायर से खरीदा लेकिन जीएसटी नहीं दिया, लेकिन ग्राहक को रेट जीएसटी जोड़कर बताते हैं। यानी समान की कीमत ग्राहक को मुनाफा और जीएसटी जोड़ने के बाद 15 रुपये बताते हैं। लेकिन जब ग्राहक बिल की मांग करता है तो 15 रुपये में जीएसटी जोड़ दी जाती है और माल की कीमत 20 रुपये हो जाती है।
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चारदीवारी में हो भट्ठा व सरिया फैक्ट्री तो बच सकती जीएसटी चोरी: ईंट भट्टा व सरिया बनाने वाली फैक्ट्री उद्योग क्षेत्र में कम ही होती हैं। यदि एनएसईजेड की तरह इन्हें चारदीवारी में जगह दी जाए तो चारदीवारी के गेट से माल निकलते समय बिल की जांच होने के साथ ही रजिस्टर व आनलाइन जानकारी अपलोड हो सकेगी। सप्लायर जीएसटी जोड़कर दुकानदार को माल बेचेगा। वहीं भट्ठों व सरिया फैक्ट्री से प्रतिदिन माल के रेट सार्वजनिक किए जाएं।
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बड़ी कंपनियां जैसे टाटा के कालसेंटर से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। लेकिन लोकल सरिया फैक्ट्री व ईंट भट्ठे प्रतिदिन रेट तय करते हैं। ग्राहकों के सामने ऐसा को विकल्प नहीं है जहां से रेट की जानकारी मिल सके।
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मनोज भाटी (नोएडा के व्यापारी) का कहना है कि
वहीं, मनोज विश्वकर्मा (ज्वाइंट कमिश्नर, जीएसटी, नोएडा) की मानें तो ईंट व सरिया का पिंट्र रेट नहीं होता, सप्लायर व दुकानदार खुद रेट तय करते हैं। ग्राहकों को लगता है कि जीएसटी के नाम पर हेरफेर हो रही है, तो शिकायत करें, कार्रवाई होगी। यह व्यापार ग्रे एरिया है, दुकानदार फायदा उठाते हैं।
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वहीं, मार्किट में मंगलवार को सरिया का रेट करीब 91 रुपये प्रति किलो है। यहां पर बताना जरूरी है कि घरों में ज्यादातर 10MM व 12MM का सरिया इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा 16, 20, 25 और 32MM का सरिया उच्च स्तरीय प्रोजेक्ट्स में उपयोग किया जाता है जैसे पुल निर्माण व फैक्ट्री आदि में यह सरिया उपयोग में लाया जाता है।