publish by ashutosh: देश में पहली बार आदिवासी महिला Draupadi Murmu देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद पर पहुंचने में कामयाब हुई हैं। संसद भवन में आज हुई मतगणना के बाद द्रौपदी मुर्मू को विजयी घोषित किया गया है। एनडीए की उम्मीदवार मुर्मू की जीत पहले ही तय मानी जा रही थी। उन्हें भाजपा के साथ ही एनडीए के घटक दलों और कई क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल था। देश के 27 दलों के समर्थन के कारण मुर्मू की स्थिति पहले ही विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से काफी मजबूत मानी जा रही थी।
Draupadi Murmu का व्यक्तिगत जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा है। 2010 से 2014 के बीच उन्होंने अपने पति और दो बेटों को खो दिया मगर फिर भी वे मुश्किलों के सामने डटकर खड़ी रहीं। उनकी जिंदगी से जुड़े महत्वपूर्ण प्रसंगों से देश के अधिकांश लोग अभी भी अनजान हैं। ऐसा ही एक प्रसंग उनके विवाह से जुड़ा हुआ है।
देश में बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि द्रौपदी मुर्मू ने श्याम चरण मुर्मू के साथ प्रेम विवाह किया था। पहले उनका नाम द्रौपदी टुडू था मगर श्याम चरण से विवाह के बाद वे द्रौपदी टुडू से Draupadi Murmu बन गईं।
श्याम चरण मुर्मू से इस तरह हुई मुलाकात
मुर्मू ने 1969 से 1973 तक आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ाई की। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर के रामादेवी विमेंस कॉलेज में दाखिला लिया। उपरवाड़ा गांव की रहने वाली मुर्मू के भुवनेश्वर के इस कॉलेज में दाखिला लेने पर आसपास के लोगों को हैरत भी हुई थी क्योंकि मुर्मू अपने गांव से भुवनेश्वर जाकर पढ़ाई के लिए दाखिला लेने वाली पहली लड़की थीं। पढ़ाई में अच्छी होने के कारण ही उन्होंने भुवनेश्वर जाकर कॉलेज की पढ़ाई करने का फैसला किया था।

भुवनेश्वर में पढ़ाई के दौरान ही मुर्मू की आगे की जिंदगी के लिए एक और रास्ता खुला। दरअसल उन्हीं दिनों श्याम चरण मुर्मू भी भुवनेश्वर के ही एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। भुवनेश्वर में पढ़ाई के दौरान ही Draupadi Murmu की श्याम चरण मुर्मू से मुलाकात हुई और दोनों एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होकर प्रेम करने लगे। श्याम चरण मुर्मू से इतना प्रभावित हुए कि बाद में वे 1980 में विवाह का प्रस्ताव लेकर Draupadi Murmu के घर पहुंच गए थे।
पिता को पहले नहीं पसंद आया था रिश्ता
शुरुआत में Draupadi Murmu के पिता बिरंची नारायण टुडू को यह रिश्ता पसंद नहीं आया था। वे इस रिश्ते को लेकर द्रौपदी से नाराज हो गए थे। दूसरी और श्याम चरण द्रौपदी से रिश्ते की मंजूरी के बिना न लौटने का फैसला लेकर पहुंचे थे। द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण पर दबाव बनाने के लिए वे अकेले नहीं बल्कि कुछ लोगों को लेकर द्रौपदी के घर पहुंचे थे। श्याम चरण के साथ उनके सगे चाचा के अलावा गांव के रिश्ते के चाचा लक्ष्मण बासी और गांव के ही दो-तीन और लोग भी थे।
कई दिनों तक Draupadi Murmu के घर जमे रहे श्याम
उन्होंने अपने साथ आए लोगों के साथ तीन-चार दिनों तक Draupadi Murmu के गांव उपरवाड़ा में ही डेरा डाले रखा। वे यहां से खाली हाथ लौटने के लिए तैयार नहीं थे। द्रौपदी की भाभी शाक्यमुनि का कहना है कि हालांकि वे इस विवाह के बाद इस घर में आई हैं,लेकिन उनकी सास ने विवाह का पूरा प्रसंग बताया था।

द्रौपदी भी श्याम चरण से ही विवाह करने की इच्छुक थीं। श्याम चरण को द्रौपदी के घरवालों को मनाने में कुछ वक्त तो जरूर लगा मगर आखिरकार द्रौपदी के घर वाले भी इस विवाह के लिए राजी हो गए थे। आदिवासियों में लड़के वालों के ही रिश्ता लेकर लड़की के घर जाने की परंपरा रही है और इसी कारण श्याम चरण मुर्मू द्रौपदी के घर पहुंचे थे।
इस तरह बनीं द्रौपदी टुडू से ‘Draupadi Murmu‘
Draupadi Murmu के घर विवाह का प्रस्ताव लेकर जाने वाले श्याम चरण के रिश्ते के चाचा लक्ष्मण बांसी को आज भी 1980 का वह वाकया याद है। ओडिशा के मयूरभंज जिले के आदिवासी गांव पहाड़पुर में रहने वाले लक्ष्मण बासी पुराने दिनों की याद करते हुए बताते हैं कि हम लोग ही श्याम चरण का रिश्ता लेकर द्रौपदी के घर पहुंचे थे। अब काफी बुजुर्ग हो चुके लक्ष्मण वासी का कहना है कि दोनों ने प्रेम विवाह किया था।
Draupadi Murmu के घर जाने से पहले श्याम चरण ने लक्ष्मण बासी को द्रौपदी से प्रेम होने की जानकारी दी थी। उन्होंने बताया कि द्रौपदी के घरवालों को मनाने में थोड़ी कठिनाई तो जरूर हुई मगर आखिरकार सब राजी हो गए और फिर पहाड़पुर गांव ही द्रौपदी का ससुराल बन गया। लक्ष्मण बासी का कहना है कि वे पहले द्रौपदी टुडू थीं मगर श्याम चरण से विवाह करने के बाद वे द्रौपदी टूडू से Draupadi Murmu बन गईं।
शादी में क्या तय हुआ था दहेज
Draupadi Murmu का ताल्लुक आदिवासियों के संथाल समुदाय से है और इस समाज से जुड़े लोगों में विवाह के समय लड़के के पक्ष की ओर से ही दहेज दिया जाता है। दहेज तय करने के लिए लड़के और लड़की के घरवाले एक साथ बैठते हैं और फिर दोनों पक्षों के बीच आपसी चर्चा के बाद यह तय किया जाता है कि दहेज क्या और कितना होगा।

Draupadi Murmu और श्याम चरण के घर वालों के बीच आपसी चर्चा में एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दहेज में देने की बात तय हुई थी। द्रौपदी की चाची जमुना टुडू का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में यही दहेज तय हुआ था और श्याम चरण और उनके साथ गए लोगों ने इस पर तुरंत ही हामी भर दी थी। बातचीत में दोनों पक्षों के राजी होने के कुछ समय बाद ही श्याम चरण और Draupadi Murmu का विवाह हो गया था।
शादी का साल तो याद, मगर तारीख नहीं
मौजूदा समय में शादी की वर्षगांठ मनाने का खूब चलन है मगर यह भी एक मजेदार बात है कि Draupadi Murmu के घर वालों को शादी का साल 1980 तो याद है मगर शादी की तारीख नहीं। द्रौपदी की चाची का कहना है कि इतनी पुरानी बात हो गई अब तक तारीख कैसे याद रह सकती है। द्रौपदी के भाई का भी कहना है कि उस समय तारीख पर इतना ज्यादा ध्यान कहां दिया जाता था।
बस लोगों को साल ही याद रहता था। दिलचस्प बात यह है कि द्रौपदी के मायके उपरवाड़ा और उनके ससुराल पहाड़पुर के पुराने लोगों को भी द्रौपदी मुर्मू के विवाह की तारीख याद नहीं है। 1 अक्टूबर 2014 को श्याम चरण का निधन हुआ था और इसी दिन Draupadi Murmu और श्याम चरण का साथ छूट गया।
Draupadi Murmu के गांव में जश्न का माहौल
Draupadi Murmu को एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही उनके ससुराल पहाड़पुर और आसपास के सभी आदिवासी गांव में जश्न का माहौल दिखा है। गांव में उनकी जीत की कामना को लेकर धार्मिक अनुष्ठान भी किए गए। पहाड़पुर में संथाल आदिवासी समुदाय की ओर से अपने इष्ट शालग्राम की पूजा भी की गई।
