आपने यह एक्सपीरियंस किया होगा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और गूगल सर्च के आधार पर आपको एडवर्टिजमेंट दिखते हैं। ऐसा Google और Facebook यानी Meta की एल्गोरिदम की वजह से होता है। टेक्नोलॉजी कंपनियां यूजर सर्च के आधार पर अपनी ऐड बिजनेस चलाती हैं, लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा है कि आपके द्वारा फोन पर की जाने वाली बातचीत के आधार पर भी ऐड दिखाई दे? यह भी खास तौर पर जब आप फोन पर किसी प्रोडक्ट या सर्विस के बारे में बात कर रहे हों?
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क्या आपने ऐसा कभी महसूस किया है कि जैसे ही आप अपना फोन कॉल खत्म करके फोन में कुछ ब्राउजिंग या सर्च कर रहे हों या फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कॉन्टेंट देख रहे हों तो आपने जिस प्रोडक्ट के बारे में फोन पर बात किया हो उसका ही ऐड दिखने लगता है? अगर, आपको ऐसा लगता है, तो आप अकेले नहीं हैं।
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हर दूसरे भारतीय यानी 2 में से 1 इंडियन यूजर को फोन पर की जाने वाली बातचीत के आधार पर ऐड टारगेट किया जा रहा है। यह बात हम नहीं कह रहे हैं। कम्युनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म LocalCircles द्वारा कंडक्ट किए जाने वाले एक सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा किया गया है।
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53 प्रतिशत यूजर्स की प्राइवेट कॉल हो रही ट्रैक
सर्वे के मुताबिक, 53 प्रतिशत भारतीयों को लगता है कि एक साल में कम से कम एक बार उन्हें फोन पर की जाने वाली बातचीत के आधार पर ऐड दिखे हैं। यही नहीं, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर भारतीय यूजर्स अपने स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, ऑडियो कॉल, वीडियो कॉल, सोशल मीडिया आदि का एक्सेस आसानी से दे देते हैं।
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सर्वे के मुताबिक, जिन 53 प्रतिशत यूजर्स ने फोन कॉल के आधार पर ऐड मिलने की बात को स्वीकार है, उनमें से 28 प्रतिशत यूजर्स ने फ्रिक्वेंटली यह महसूस किया है। वहीं, 19 प्रतिशत यूजर्स ने कई बार यह महसूस किया है, जबकि 6 प्रतिशत यूजर्स को कभी-कभी यह महसूस हुआ है। केवल 24 प्रतिशत यूजर्स को लगता है कि ऐसा कभी नहीं हुआ है।
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इस सर्वे में यह भी बात सामने आई है कि 84 प्रतिशत यूजर्स का मानना है कि WhatsApp उनके कॉन्टैक्ट को यूज कर रहा है। वहीं, 51 प्रतिशत का कहना है कि Facebook और Instagram दोनों उनके कॉन्टैक्ट इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं, 41 प्रतिशत यूजर्स का मानना है कि कॉलर आईडी ऐप Truecaller उनके कॉन्टैक्ट एक्सेस कर रहे हैं। यह यूजर्स के लिए खतरे की घंटी है।
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कैसे बचें?
यूजर्स किसी भी ऐप को माइक्रोफोन और कैमरा के साथ-साथ कॉन्टैक्ट का एक्सेस न दें। अगर, किसी कारणवश देना पड़ रहा हो तो केवल वन टाइम यूज के लिए दें। हालांकि, यह फीचर Android 11 और उससे ऊपर के ऑपरेटिंग सिस्टम में उपलब्ध है।
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Apple यूजर्स को भी माइक्रोफोन, कैमरा, स्टोरेज और कॉन्टैक्ट आदि का एक्सेस किसी भी ऐप को नहीं देना चाहिए। वो भी जरूरत पड़ने पर केवल वन टाइम यूज के लिए दे सकते हैं। इससे आपके स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, स्टोरेज और कॉन्टैक्ट का एक्सेस किसी भी ऐप को नहीं मिलेगा और आपके ऑडियो और वीडियो कॉल को ट्रैक नहीं किया जा सकेगा। साथ ही, आपके कॉन्टैक्ट और स्टोरेज का भी एक्सेस नहीं रहेगा।